Wednesday 14 August 2019

राखी - कविता

राखी - कविता




रक्षा भले तुम कर न पाओ |
दर्द मुझे तुम मत देना ||
असमंजस में खड़ी बहन है |
रक्षासूत्र किसे मैं बाँधु ?
देने को कुछ पास नहीं है |
लेने को कुछ आस नहीं है ||
एहसासो के हीरे-मोती - मेरे मन भंडार भरे |
रिश्तों के गंगा-सागर में खुशियों के संसार भरे ||
सुना है मैंने श्याम हमारे |
हर सुख-दुःख में साथ खड़े ||
श्यामा के वंशीघर कर में |
राखी रब-कर में बाँधू ||
चरण-कमल में आस हमारी |
जीवन में नया अंधियारी ||
हमें उबारो है मुरलीधर |
पल-पल तेरा ध्यान धरु ||
मीरा के एहसासों को तुमने |
हर-पल है महसूस किया ||
मुझे भी तारो हे मन-मोहन |
तुझ बिन मेरा आस नहीं ||

- मेनका

Tuesday 13 August 2019

वाइपर - कविता

वाइपर - कविता




ले आया - मेरा लाल वाइपर |
अनकहे - शब्दों में जाकर ||
टाल रही - अपनी चीज़ों को |
कम-से-कम - चीज़े हो अपनी ||
बिना तनाव - तन-मन हो अपनी |
एहसासों का - नदी लबालब ||
राधा की - रुन-झुन पायल हो |
श्याम क्षबि - हर वक़्त निहारुँ ||
सुख-दुःख - सब श्यामा बतलाऊँ |
भाव भरे - सुध-बुध खो जाऊँ ||
मन-मंदिर - में जाकर अपनी |
चरणों में - जाकर सो जाऊँ ||

ले आया - मेरा लाल वाइपर |
अनकहे - शब्दों में जाकर ||
ले आया मौसम - वर्षा का |
शीव का - सुन्दर सावन आया ||
शयाम समा - वृन्दावन बांधे |
बेनु-वन, तन-मन - अति भाये ||
बादल के गोदों में - रिमझिम |
उछल कुदती - है धरती पर ||
पवन मस्त - अपनी धुन में है |
बिजली बादल - मस्त गरजती ||
हरी-भरी - धरती है प्यारी |
रक्षा - सम्राट की जिम्मेदारी ||

- मेनका

मिलिट्री मैन - कविता

मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...