Monday 25 May 2020

नारी जाग्रति दिवस - कविता

नारी जाग्रति दिवस - कविता


नारी से ही नर सम्बल है |
सम्बल है भाई-भाई ||
सीमा सुरक्षित नारी शक्ति |
हम सबकी भरपाई ||
छोटी सोच बड़ा कर देखो |
बहन बेटी है प्यारी ||
रंगोली के रंग अनोखें |
गुन-गुन करती रागें ||
शृष्टि की बुनियाद हमारी |
नारी में है समायी ||
शिक्षा सर्व समर्पित देखो |
जग जननी है प्यारी ||
नारी से ही नर सम्बल है |
सम्बल है भाई-भाई ||

- मेनका

Sunday 24 May 2020

लॉकडाउन में माँ से अर्जी - कविता

लॉकडाउन में माँ से अर्जी - कविता


करोना कहर दुर्गा दुनिया के तोरलक 
घरे-घरे कयलक बंद -- करोना -- |

करोना कहर काली विश्वक वेदना 
सुनी लिअऊ हमरो पुकार -- सुनी -- |

किये न सुनइछी मईया किये न
तकइछी किये आहाँ भेल छी कठोर | 
किये आहाँ -- |

 विश्वक भूल-चूक क्षमा करू चण्डी 
होइअऊ सब पर सहाय | होइअऊ -- |

सुन्दर सुबुद्धि दुर्गा सब जन के 
दिअऊ हम सब करइछी गुहार |

बच्चा बिमार सब कुहकये वन-खंड 
कइसे कटत लॉकडाउन ?

करोना कहर मइया संघर आहाँ
करीअऊ सबके छुटत लॉकडाउन |

- मेनका

Saturday 23 May 2020

माँ सरस्वती - कविता

माँ सरस्वती - कविता


माँ शारदे दे ज्ञान माँ |
भंडार दे देवत्व का ||
दे दिशा माँ तू ज्ञान को |
हम सब शरण में है पड़े ||
जब से संभाला होश है |
चरणों में हम मदहोश है ||
जीवन हमारा जंग है |
रिश्तों को पाया संग है ||
वरदान दे माँ ज्ञान का |
वैश्चिक विचार से दूर हो ||
बेटी तुम्हारी बिलख रही |
बचा ले हमारी आबरू माँ ||
दे ज्ञान माँ देवत्व का |
संतान है हम सब तुम्हारे ||
वीणा तुम्हारी वाणी को |
चहक चमन में राग दे ||
हम आस लिए पल पास में |
माँ शारदा दे ज्ञान माँ ||
तरस तिमिर में है खड़े |
सुन्दर सुनहरा भोर हो ||
माँ शारदा की शान को |
संजो के रखना मान को ||
माँ शारदे दे ज्ञान माँ |
भंडार दे देवत्व का ||

- मेनका

आशा की बाती - कविता

आशा की बाती - कविता


प्रज्वलित करे हम दीप लौ की |
हम सब मिल-जुल दिया जलाये ||
करोना के इस विश्व संग्राम में |
असुरी शक्ति का दफन करेंगे ||
माँ शक्ति से विनय करेंगे |
नव दुर्गा का ध्यान करेंगे ||
प्रज्वलित दीप का मान करेंगे |
समय सीमा के अन्तर्मन में ||
दूर खड़े हम साथ बसे है |
गलत न हो गणतव्य हमारा ||
प्रज्वलित करे हम दीप लौ की |

- मेनका

Monday 30 March 2020

करोना का कहर - कविता

करोना का कहर - कविता



कहर करोना का धरती पर |
तांडव नाच नचाता है ||
कहर करोना के डर से हम |
इधर-उधर नहीं भागे ||
महामारी करोना बनकर |
आँखों से ओझल यह घूमे ||
चमगादर से है ये निकला |
कहर करोना ने वर्षाया ||
भारत के हम भगवती भक्त है |
भावों से है हम ओत-प्रोत हम ||
राष्ट्र भक्त है माँ के पुजारी |
नवरात्रा में हवन करेंगे ||
कब्र करोना का खोदेंगे |
कब्रिस्तान बनाएँगे हम ||
विजयी विश्व का झंडा भारत |
युग- युग में फहराएंगे हम ||
कहर करोना का धरती पर |
तांडव नाच नचाता है ||

- मेनका

मिलिट्री मैन - कविता

मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...