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Tuesday, 23 May 2017

दहेज़ का दानव - कविता

दहेज़ का दानव - कविता


दहेज़ के दानव से प्यारे, हर घर को अब लड़ना होगा|
बेटी के सपनों को प्यारे, उड़ने की आज़ादी दे दो||
बेटी के असली सूरत को, बहु रूप में लाना होगा|
तभी पढ़ेगी सबकी बेटी,  तभी बचेगी सबकी बेटी||
दहेज़ के दानव को प्यारे, कोशों दूर भगाना होगा|
बेटी और बेटा तो प्यारे एक  सिक्के के पहलू दो है||
बेटी की प्यारी सुरत को, दिल से अब अपनाना होगा|
बेटी और बेटा तो प्यारे, मत बाँटो तुम अपने दिल से||

दहेज़ के दानव से प्यारे, हर घर को अब लड़ना होगा|
वृद्धावस्था का डर भी प्यारे नहीं रहेगा सबके मन में||
सास-ससूर के जीवन में तो हर घर में ही जन्नत होगी||
दहेज़ को अब बहू रूप में हर जन को अपनाना होगा|
बेटी ही तो बहू रूप में, हम सबकी पालनकर्ता है||
दहेज़ के इस रौद्र-रूप को दुनिया से दूर भगाना होगा|
बेटी ही तो बहू रूप में, बेटा के दिल की धड़कन है||
दहेज़ के आगोश से प्यारे, बेटीयों को भी बचाना होगा|

दहेज़ के दानव से प्यारे, हर घर को अब लड़ना होगा|
बेटी ही तो बहू रूप में हर घर का पूरक बनती है||
दहेज़ के इस हवनकुंड से, बेटीयों को भी बचाना होगा|
बेटी ही तो लक्ष्मी रूप में, हर घर कि रौनक बनती है||
बेटी ही तो दुर्गा रूप में, हम सबकी रक्षा करती है|
मत मारो अब बेटी को प्यारे, जीने की आज़ादी दे दो||
नहीं बनेगा कोई आश्रय, हर घर ही आश्रय होगा|
बेटी ही तो वंश वृक्ष का बहू रूप में अंकुर बनती||
बेटी ही तो बहू रूप में वंशज का आश्रय बनती|
दहेज़ के दानव से प्यारे, हर घर को अब लड़ना होगा||

- मेनका

Thursday, 15 December 2016

नोटों का पतझड़ - कविता

नोटों का पतझड़ - कविता 


हरी गुलाबी नीली- पीली, 
नोटों की बरसात लगी है।
भ्रष्टाचार के नाग नथैया,
मोदीजी आये है भइया।
भ्रष्टाचार के डंक ने भइया,
हम सबको है बड़ा रुलाया।
हरी गुलाबी नीली- पीली, 
नोटों की बरसात लगी है॥

मोदीजी का खेल तो भइया,
बड़ा ही अदभूत बड़ा है न्यारा।
नोटों के इस पतझड़ में तो,
हम सबको भी लड़ना होगा।
P.M  की लड़ाई भ्रष्टों से जारी,
हमारी लड़ाई तो कतारों से जारी।
हरी गुलाबी नीली- पीली, 
नोटों की बरसात लगी है॥

- मेनका

मिलिट्री मैन - कविता

मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...