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मिलिट्री मैन - कविता
मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...
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५ जनवरी (पैतृक जिज्ञासा) - कविता बाबा के वंश बढ़ाने की, जिज्ञासा लेकर आये हो। पिता के सारे बोझ उठाने, कुली बनकर आये हो॥ माँ के को...
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मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...

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