Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मिलिट्री मैन - कविता
मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...

-
मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...
-
आधूनिकता के बटन - कविता आधूनिकता का बटन दबाया| मानवता क्यों छोड़ दिया|| बटन भरोसे लाखों मानव| मानवता क्यों छोड़ दिया|| मानव की खाली जगहों को...
No comments:
Post a Comment