लॉकडाउन में माँ से अर्जी - कविता
करोना कहर दुर्गा दुनिया के तोरलक
घरे-घरे कयलक बंद -- करोना -- |
करोना कहर काली विश्वक वेदना
सुनी लिअऊ हमरो पुकार -- सुनी -- |
किये न सुनइछी मईया किये न
तकइछी किये आहाँ भेल छी कठोर |
किये आहाँ -- |
विश्वक भूल-चूक क्षमा करू चण्डी
होइअऊ सब पर सहाय | होइअऊ -- |
सुन्दर सुबुद्धि दुर्गा सब जन के
दिअऊ हम सब करइछी गुहार |
बच्चा बिमार सब कुहकये वन-खंड
कइसे कटत लॉकडाउन ?
करोना कहर मइया संघर आहाँ
करीअऊ सबके छुटत लॉकडाउन |
- मेनका
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